Saturday, March 13, 2010

तुकबन्‍दी - आज के जमाने की शेर शायरी

इधर खुदा है उधर खुदा है,

जिधर देखो उधर खुदा है

इधर उधर बस खुदा ही खुदा है

जिधर नहीं खुदा हे ------ उधर कल खुदेगा

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काली भयावह रात और चन्‍द्रमा अपनी पूरी जवानी पे,

अचानक मैंने कार रोकी तुमने पूछा क्‍यों,

मैं तुम्‍हारे बहुत करीब आया और तुम शर्म शार हो गयी,

मैंने मुस्‍कराकर तीन जादुई शब्‍द कहे

हाय ला पंचर !!!

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तुमसा कोई दूसरा जमीन पर हुआ

तो रब से शिकायत होगी

एक तो झेला नहीं जाता

दूसरा आ गया तो क्‍या हालात होगी

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दुरखत के पेमाने पे चिलमन ए हुस्‍न का फुरकत से शरमाना --

दुरखत के पेमाने पे चिलमन ए हुस्‍न का फुरकत से शरमाना --

ये लाईन अगर समझ में आ जाये तो मुझे जरुर बताना


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जिस वक्‍त खुदा ने तुमको बनाया होगा

एक सुरुर सा उसके दिल पे छाया होगा

पहले सोचा होगा कि तुझको जन्‍नत में रख लॅू

फिर उसको चिडियाघर का खयाल आया होगा

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मेरे मरने के बाद मेरे दोस्‍तों

यॅू ऑसूं न बहाना

अगर मेरी याद आये तो

सीधे मेरे पास चले आना

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ना वो इकरार करती है

ना वो इन्‍कार करती है

कमबख्‍त मेरे ही सपनों में अक्‍सर

मेरे दोस्‍त से प्‍यार करती है

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जब जब धिरे बादल तेरी याद आयी

झूम के बरसा सावन तेरी याद आयी

बारि श में भीगे लेकिन फिर भी तेरी याद आयी

क्‍यों न आये तेरी याद --- तूने जो छतरी अब तक नहीं लौटायी

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दुकानदार बोला -- तुम्‍हें क्‍या चाहिये

जो भी कहोगे मेरी दुकान पर वो मिलेगा

उसने कहा - कुत्‍ते के खाने के बिस्‍कुट है क्‍या

दुकानदार बोला - यहीं पर खाओगे या लेके जाओगे

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उनकी गली के चक्‍कर काट काट कर

कुत्‍ते भी हमारी पहचान के हो गये

वो तो हमारे न हो सके

म कुत्‍तों के सरदार हो गये

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हसीन तुम हो तो बुरे हम भी नहीं

महलों में तुम हो तो सड़क पर हम भी नहीं

प्‍यार करके कहते हो कि शादी शादी शुदा हो

तो कान खोलकर सुन लो कुंवारे हम भी नहीं
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मच्‍छर ने जो काटा --- दिल में मेरे जुनून था

खुजली हुई इतनी --- दिल बे सुकून था

पकड़ा तो छोड़ दिया ये सेाच कर -----

उसकी रगों में अपना ही खून था ।

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अनिल हर्ष

9 comments:

  1. सिद्धार्थ की तरह ही हम भी कई पढ़ चुके हैं..मगर फिर से पढ़ना भी मुस्कान दे गया. देवनागरी में कोशिश करिये मामा जी (सिद्धार्थ भाई ने बताया) (:))

    स्वागत है आपका और अनेक शुभकामनाएँ

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  2. please write in Devanagari Mama ji !

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  3. अरे अब तो हिन्दी मै लिखे आप के पास टुल भी तो आ गया है हिन्दी का, लेकिन बेंक का काम भी ध्यान से करे मामा जी, अब आप तो पुरे ब्लांग के मामा जी बन गये है जी

    ओर इस Word verification को हटा दे कृप्या

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  4. उड़न तश्‍तरी अरविंद मिश्रा राज भाटिया व मेरे अन्‍य प्‍यारे भानजों - आपकी फरमाईश को ध्‍यान रखकर मैंने पूरे ब्‍लाग का ही हिन्‍दी में रुपान्‍तरण कर दिया है । यहां पर जो कुछ लिखा है वो एक मात्र संकलन है । भारी भरकम साहित्‍य पढते पढ़ते कुछ हल्‍का फुल्‍का हो जाये तथा मन उचाट न हो ।

    अनिल हर्ष

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  5. मामाजी को नमस्ते हज़ार बार है
    मामा जी को नमस्ते हज़ार बार है
    देवनागरी में लिखा नक़द है
    बाक़ी सब उधार है

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  6. वाह जी..बधाईयाँ देवनागरी में लाने के लिए.

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  7. padh kar achchha laga...sanklan ya rchnayen sunder hain...uttam

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