Friday, April 9, 2010

**मन की शांति के उपाय **


दूसरा उपाय

माफ करना और भूल जाना

हम में से ज्‍यदातर लोग बहुधा अपने मन में गांठ बांध लेते हैं कि फला व्‍यक्ति ने मेरा उपहास किया तथा मुझे नुकसान पहुंचाया । और यह सोच सोच कर हम उसके प्रति अपने मन में दुर्भावना पाल लेते हैं और हम जितना सोचते हैं दुर्भावना उतनी ही ज्‍यादा बढुती जाती है । नतीजा यह होता है कि हमें अनिद्रा का रोग लग जाता है पेट में अल्‍सर बन जाता है और उच्‍च रक्‍त चाप से पीडि़त हो जाते हैं ।

आपका उपहास या नुकसान तो जिसने भी किया वो केवल एक बार किया मगर आप उसको बार बार याद करके उसके अहसास को हमेशा के लिये कई गुना बढ़ा लेते हैं और उसकी पीड़ा को असहनीय बना लेते हैं ।

अपनी इस आदत से छुटकारा पायें । जिन्‍दगी बहुत छोटी है इन छोटी मोटी बातों में अपना जीवन बर्बाद न करें । भूल जायें और माफ करें और आगे बढ़ जायें ।

माफ करने और भूल जाने से ही प्‍यार बढ़ेगा और जिन्‍दगी आबाद हो जायेगी ।

अनिल हर्ष

Thursday, April 8, 2010

**मन की शांति के उपाय **



पहला उपाय

हम में से ज्‍यादातर लोग बहुधा दूसरों के मामले में टांग अड़ाकर स्‍वयं के लिये समस्‍या खड़ी कर लेते हैं । ऐसा हम इसलिये करते हैं क्‍योंकि किसी प्रकार हम अपने आपको यह जता लेते हैं कि हम जिस तरीके से काम करते हैं वो ही तरीका सबसे अच्‍छा है और हम जिस सिद्धान्‍त / तर्क / नियमों से काम करते हैं वो ही सबसे ज्‍यादा फलीभूत तरीका है तथा जो व्‍यक्ति इन तरीकों / तर्कों एवं सिद्धान्‍तों के अनुसार नहीं चलते उनको सही मार्ग पर लाने के उनकी निंदा करनी चाहिये तथा उनको सही मार्ग बताना चाहिये --- हमारे द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्‍त / मार्ग

ऐसी सोच रखने से व्‍यक्ति परक की पहचान एवं स्‍वतन्‍त्रता समाप्‍त होती है जिसे कि भगवान ने बनाया है । भगवान ने हर एक व्‍यक्ति को अपने तरीके से एक अलग ही बनाया है । दो व्‍यक्तियों के व्‍यवहार कार्य और विचार किसी एक विषय पर एकदम एक जैसे नहीं हो सकते । प्रत्‍येक व्‍यक्ति अपने अलग तरीके से काम करता है क्‍योंकि भगवान ने उनको जिस तरीके से कार्य करने की शक्ति दी है वो उसी तरीके से कार्य करते है ।

इसलिये हमेशा केवल अपने कार्य के बारे में सोचें और दूसरों के कार्य में बिना मांगे सलाह न दें ।

अनिल हर्ष

Sunday, April 4, 2010

'' दोस्‍तों के पैगाम दोस्‍तों के नाम ''



चाहे दोस्‍ती हो या मुहोब्‍बत सूरत से नहीं दिल से होती है

सूरत उनकी खुद ही अच्‍छी लगने लगती है

जिनकी कद्र दिल से हुआ करती है ।



जुदाई का दुख सह नहीं सकते

भरी महफिल में कुछ कह नहीं सकते

पूछो हमारे बहते आंसूओं से

वो भी कहेंगे हम आपके बिना रह नहीं सकते ।