Thursday, April 8, 2010

**मन की शांति के उपाय **



पहला उपाय

हम में से ज्‍यादातर लोग बहुधा दूसरों के मामले में टांग अड़ाकर स्‍वयं के लिये समस्‍या खड़ी कर लेते हैं । ऐसा हम इसलिये करते हैं क्‍योंकि किसी प्रकार हम अपने आपको यह जता लेते हैं कि हम जिस तरीके से काम करते हैं वो ही तरीका सबसे अच्‍छा है और हम जिस सिद्धान्‍त / तर्क / नियमों से काम करते हैं वो ही सबसे ज्‍यादा फलीभूत तरीका है तथा जो व्‍यक्ति इन तरीकों / तर्कों एवं सिद्धान्‍तों के अनुसार नहीं चलते उनको सही मार्ग पर लाने के उनकी निंदा करनी चाहिये तथा उनको सही मार्ग बताना चाहिये --- हमारे द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्‍त / मार्ग

ऐसी सोच रखने से व्‍यक्ति परक की पहचान एवं स्‍वतन्‍त्रता समाप्‍त होती है जिसे कि भगवान ने बनाया है । भगवान ने हर एक व्‍यक्ति को अपने तरीके से एक अलग ही बनाया है । दो व्‍यक्तियों के व्‍यवहार कार्य और विचार किसी एक विषय पर एकदम एक जैसे नहीं हो सकते । प्रत्‍येक व्‍यक्ति अपने अलग तरीके से काम करता है क्‍योंकि भगवान ने उनको जिस तरीके से कार्य करने की शक्ति दी है वो उसी तरीके से कार्य करते है ।

इसलिये हमेशा केवल अपने कार्य के बारे में सोचें और दूसरों के कार्य में बिना मांगे सलाह न दें ।

अनिल हर्ष

2 comments:

  1. बहुत सुन्दर विचार।धन्यवाद।

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  2. हमेशा केवल अपने कार्य के बारे में सोचें और दूसरों के कार्य में बिना मांगे सलाह न दें


    उम्दा विचार...आपका आभार!!

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