Tuesday, March 30, 2010

'' दोस्‍तों के पैगाम दोस्‍तों के नाम ''


हर ऐक जज्‍बात को जुबां नहीं मिलती
हर एक आरजू को दुआ नहीं मिलती
मुस्‍कान बनाये रखो तो दुनिया साथ है आपके
ऑसूओं को तो ऑखों में भी पनाह नहीं मिलती ।


सपने थे सपनों के आप साहिल हुए
ना जाने कैसे हम आपके प्‍यार के काबिल हुए
कर्जदार है हम उस हसीन पल के
जब आप हमारी दुनिया में शामिल हुए ।



याद रखेंगें हम हर कहानी आपकी
लहरों के जैसी वो रवानी आपकी
आपने हमको जो दिल में अपने बसा रखा है
ये किस्‍मत थी हमारी या मेहरबानी आपकी ।

4 comments:

  1. अच्छे, बहुत अच्छे।
    इतना इमोसनल अत्याचार!

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  2. very good sir ji

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  3. Namaskar
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