Friday, April 9, 2010

**मन की शांति के उपाय **


दूसरा उपाय

माफ करना और भूल जाना

हम में से ज्‍यदातर लोग बहुधा अपने मन में गांठ बांध लेते हैं कि फला व्‍यक्ति ने मेरा उपहास किया तथा मुझे नुकसान पहुंचाया । और यह सोच सोच कर हम उसके प्रति अपने मन में दुर्भावना पाल लेते हैं और हम जितना सोचते हैं दुर्भावना उतनी ही ज्‍यादा बढुती जाती है । नतीजा यह होता है कि हमें अनिद्रा का रोग लग जाता है पेट में अल्‍सर बन जाता है और उच्‍च रक्‍त चाप से पीडि़त हो जाते हैं ।

आपका उपहास या नुकसान तो जिसने भी किया वो केवल एक बार किया मगर आप उसको बार बार याद करके उसके अहसास को हमेशा के लिये कई गुना बढ़ा लेते हैं और उसकी पीड़ा को असहनीय बना लेते हैं ।

अपनी इस आदत से छुटकारा पायें । जिन्‍दगी बहुत छोटी है इन छोटी मोटी बातों में अपना जीवन बर्बाद न करें । भूल जायें और माफ करें और आगे बढ़ जायें ।

माफ करने और भूल जाने से ही प्‍यार बढ़ेगा और जिन्‍दगी आबाद हो जायेगी ।

अनिल हर्ष

2 comments:

  1. बहुत मुश्किल होता है इसे अपनाना और आत्मसात करना मगर प्रयास तो किये ही जा सकते हैं.

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  2. समझ से बाहर है कि इनसान यह आदत कब छोडेगा। जब कोई काम नहीं तो किसी न किसी की बुराई शुरू कर देता है, बुराई में भी सच कम और समने वाले को इंप्रेस करने के लिए झूठ अधिक बोला जाता है। इससे न तो शरीर की चर्बी बढती है और न कोई लाभ मिलता है। छोटी बडी बात हो भी गई तो भूलने में ही बेहतर है।

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